जो पल बीते साथ तुम्हारे

Friday, January 23, 2009

रिश्ते टूटे बंधन टूटे सजने वाले दर्पण टूटे
सब कुछ तोड़ के बेशक जाना लेकिन पहले यह तो बताना
जो पल बीते साथ तुम्हारे उनसे पीछा कैसे छूटे

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

मुश्किल हैं कितना यह समझाना, टूटे दिल का दर्द छुपाना
जो पल महके साथ तुम्हारे उनकी खुश्बू कैसे छूटे

रिश्ते टूटे बंधन टूटे सजने वाले दर्पण टूटे

54 comments:

Austeen Sufi said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही
sundar

Aruna Kapoor said...

रिश्ते और बंधन टूट जाने का दर्द ....आपने सुंदर शब्दों में व्यक्त किया है।

Shilpi said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Shreya Rajput said...

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

Excellent sir
Regards

Vinay said...

बहुत मनमोहक रचना


---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें

---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम</a

Swati said...

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Anonymous said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Sagarika said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Best of lots
Regards

Parul said...

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

R. Ramesh said...

thanks 4 yr encouragement boss..u and your team have been doing a great job indeed of keeping the blogosphere lively, innovative and creative....cheers..

Atul Sharma said...

संबंध तो छूट जाते हैं
पर रिश्‍ते अटूट होते हैं
जो दूर जाते हैं
वह अक्‍सर याद आते हैं
यह न सोचो कि वह याद नहीं करते
याद तो वह भी करते हैं
पर किसी से जिक्र नहीं करते
और हम हैं कि उनकी याद में
दुनिया को भुलाए बैठे हैं।

Mehnaaz said...

Excellent lines these

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

Richa Sharma said...

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही
nice one

Ria said...

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Alpana Verma said...

रिश्ते टूटे बंधन टूटे सजने वाले दर्पण टूटे'

kitna kuchh kah gayi yah ek line hi!

yaden kahan peechhha chhodti hain???yaden dhudhli jarur ho jaati hain magar miTti nahin..:)

very very nice poem Avinash!

**You are excellent at writing english articles....But you are very good at hindi writing too!Congrates!

अविनाश said...

@Alpana
Thanks a lot mam, thats the best comment i have ever got as it come from a very talented writer like you
Regards

Priya Mittal said...

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

Pallavi said...

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

Sneha Shrivastava said...

Nicely and well written.:)

Anonymous said...

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

Great compostion

Ritika Pandey said...

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

Dr. Neha Srivastav said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

मुश्किल हैं कितना यह समझाना, टूटे दिल का दर्द छुपाना
जो पल महके साथ तुम्हारे उनकी खुश्बू कैसे छूटे

Ragini said...

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

what could be more deeper and heart-felt than this! very touching.
Regards

Anonymous said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

its touched the soul and shows the kind of love u have n pain u r going though

Superb lines
Regards

Anonymous said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Jyoti Dixit said...

these two lines expresses ur feeling with some outstandin selection of words and sentence formation

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही


Regards

daanish said...

"मुश्किल है कितना ये समझाना, टूटे दिल का दर्द छिपाना ,
जो पल महके साथ तुम्हारे उनकी खुशबु कैसे छूटे ..."

वाह ! बहुत ही खूबसूरत लफ्ज़
उतना ही उम्दा ब्यान .....
और जाने कितने दिलों की बात कह दी आपने अपनी
इस ग़ज़ल नुमा नज़्म में ....!
बधाई !!

---मुफलिस---

Ritu said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

मुश्किल हैं कितना यह समझाना, टूटे दिल का दर्द छुपाना
जो पल महके साथ तुम्हारे उनकी खुश्बू कैसे छूटे

Anita said...

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Er. Nidhi Mishra said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही
good one

Dr. Aradhna said...

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

Dr. Pragya bajaj said...

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

Ashok said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Dr. Neha Srivastav said...

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Dr. Palki Vajpayee said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

मुश्किल हैं कितना यह समझाना, टूटे दिल का दर्द छुपाना
जो पल महके साथ तुम्हारे उनकी खुश्बू कैसे छूटे

Prachi Pandey said...

मुश्किल हैं कितना यह समझाना, टूटे दिल का दर्द छुपाना
जो पल महके साथ तुम्हारे उनकी खुश्बू कैसे छूटे

Sagarika said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Dr. Pragya bajaj said...

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Anonymous said...

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

Amrita Kumari said...

लोग करेंगे क्या क्या बातें, याद हैं सावन की बरसातें
जो पल भीगे साथ तुम्हारे, उनसे पीछा कैसे छूटे

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Ruchika Mittal said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Anonymous said...

मुश्किल हैं कितना यह समझाना, टूटे दिल का दर्द छुपाना
जो पल महके साथ तुम्हारे उनकी खुश्बू कैसे छूटे

purnima said...

हॅस्ते हुए रहते थे हम, रोते हुए जीने लगे
खुशिया हुई मन से विदा, गम में तेरे मरने लगे
bhut sunder ..............

Dr.Ragini Rastogi said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Dr. Gunjan Gehlot said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Dr.Ruchika Rastogi said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

मुश्किल हैं कितना यह समझाना, टूटे दिल का दर्द छुपाना
जो पल महके साथ तुम्हारे उनकी खुश्बू कैसे छूटे

Parul said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

Tripti Pandey said...

कहती हैं शाम यह क्या हुआ नगमा कोई गाते नही
गुलशन ने भी पूछा मुझसे अब तुम दोनो आते नही

  © Blogger templates Newspaper by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP