कितना हसीन होता है
Wednesday, September 3, 2008
कितना हसीन होता है
नवह ख्वाब ,
जो कभी-कभीयूं ही आंखो मेंउतर के आता हैबीछा के
कागज़ परसितारों के हर्फ़और चाँद के किरणों कीरोशन स्याही कोनाम ख़त का दिया जाता है ,
पता लिखा होता हैइस में उस हद काजहाँ सब गुनाह माफ़ होते हैं ,......
जुड़ता है
रिश्ता सिर्फ़ रूह से रूह काऔर सूरज से चमकते आखरसिर्फ़ मोहब्बत की जुबान होते हैं ,
बहती सी यह हवाएँ ले जाती हैख्यालों को वहाँ तक ,जहाँ लफ्जों का ........
एक गुलिस्तां सा नज़र आता हैझर जाती है
राख याद कीऔर एक घुलता हुआ धुआँसब तरफ़ फैल जाता हैऔर
तब अटकी हुई साँसों के साथएक अन्तहीन सफर,जहाँ खत्म हुआ था .....
फ़िर वही से शुरू हो जाता है !!
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