सीख रहे हैंहँसना

Monday, September 15, 2008


सूरज पर प्रतिबंध अनेकोंऔर

भरोसा रातों परनयन हमारे सीख रहे हैंहँसना

झूठी बातों परहमने जीवन की चौसर परदाँव लगाए आँसू वालेकुछ

लोगो ने हर पल, हर दिनमौके देखे बदले पालेहम शंकित सच पा अपने,

वे मुग्ध स्वँय की घातों परनयन हमारे सीख रहे

हैंहँसना झूठी बातों परहम तक
लौट गई हैंमौसम की बेशर्म

कृपाएँहमने सेहरे के संग बाँधीअपनी सब मासूम खताएँहमने

कभी न रखा स्वयँ कोअवसर के अनुपातों परनयन हमारे सीख रहे हैंहँसना झूठी बातों पर

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