Taare Zameen Par

Monday, July 14, 2008

मैं कभी बतलाता नहीं... पर semester से डरता हूँ मैं माँ ...यूं तो मैं दिखलाता नहीं ...

grades की परवाह करता हूँ मैं माँ ..तुझे सब है पता ....है न माँ

किताबों में ...यूं न छोडो मुझे..chapters के नाम भी न बतला पाऊँ माँ वह भी तो ...इतने सारे हैं....याद भी अब तो आ न पाएं माँ ...क्या इतना गधा हूँ मैं माँ ..क्या इतना गधा हूँ मैं माँ ..जब भी कभी ..invigilator मुझे ..जो गौर से ..आँखों से घूरता है माँ ...मेरी नज़र ..ढूंढे qstn paper...सोचूं यही ..कोई सवाल तो बन जायेगा.....उनसे में ...यह कहता नहीं ..बगल वाले से टापता हूँ मैं माँ

चेहरे पे ...आने देता नहीं...दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ तुझे सब है पता .. है न माँ ..तुझे सब है पता ..है न माँ ..मैं कभी बतलाता नहीं... par semester से डरता हूँ मैं माँ ...यूं तो मैं दिखलाता नहीं ... grades की परवाह करता हूँ मैं माँ ..तुझे सब है पता ....है न माँ तुझे सब है पता ....है न माँ

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